Thursday, December 6, 2007

Dainik jagran 6th Dec

मेडिकल छात्रों को याद आए हनुमान, जुलूस निकाला
सिटी रिपोर्टर, इलाहाबाद : भविष्य को दांव में देख मेडिकल छात्र भगवान की शरण में आ गए हैं। एक दिन पूर्व सद््बुद्धि यज्ञ करने वाले भावी डाक्टरों ने बुधवार को एसआरएन अस्पताल में हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया और छात्र अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की बुद्धि ठीक करने के लिए शाम को छात्र-छात्राओं ने अस्पताल से कैंडिल जुलूस निकाला। बांह में काला फीता व हाथों में मोमबत्ती लिए डाक्टर सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे। जहां उन्होंने पूजा पाठ किया। भगवान से उज्जवल भविष्य की कामना के लिए प्रार्थना किया। अस्पताल परिसर में धरने पर बैठे डाक्टरों ने केन्द्रीय मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। छात्रों ने चेतावनी दी है कि इंटर्नशिप की अवधि बढ़ाई गई तो हड़ताल पर भी जा सकते हैं। अस्पताल परिसर में छात्रों ने हनुमान चालीस का पूरा पाठ किया। भावी डाक्टर संतोष सिंह, सुनील विश्र्वकर्मा, मिन्हाज हुसैन, अखिलेश कुमार का कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी करने का फैसला करना चाहिए न की इंटर्नशिप की अवधि बढ़ाने का। कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की हठवादिता के चलते कई छात्र पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हैं और उनके भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। प्रियंका, कीर्ति, अंशिता, वंदना का कहना था कि छात्राएं गांव में किस तरह रहेंगी। खास कर जब उन्हें अधिक जानकारी नहीं होगी, इससे गलतियों की काफी संभावनाएं होंगी। उनका कहना था कि ग्रामीण क्षेत्र में ट्रेंड डाक्टर ही भेजे जाने चाहिए। अस्पताल के सीएमएस डा. यूएस सिन्हा भी डाक्टरों के पक्ष में हैं लेकिन उन्होंने छात्रों को शांतिपूर्ण तरीके से अपने आंदोलन को बढ़ाने के लिए कहा है।
अभिनव विरोध : स्वास्थ्य मंत्री से शादी की पेशकश
इलाहाबाद : यह विरोध का अभिनव तरीका है। इसके तहत मोता लाल नेहरू मेडिकल कालेज की छात्राओं ने स्वास्थ्य मंत्री को शादी के लिए ऑफर किया है। छात्राओं का कहना है कि जब आधी जिंदगी पढ़ाई में बीत जाएगी तो उनसे शादी कौन करेगा। इससे अच्छा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अम्बुमणि रामदास से ही शादी कर लिया जाए ताकि शादी के बाद शहर में रहना संभव हो सके। कालेज के 46 व 47 बैच की छात्राओं ने बाकायदा मंत्री को पत्र भी लिखा है। छात्रा कीर्ति व सुलेखा का कहना है कि सीपीएमटी की तैयारी में लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। इसके बाद एमबीबीएस की पढ़ाई में तीन से चार लाख रुपये का खर्च आ जाता है। गांव में इंटर्नशिप करने का मतलब है कि दो लाख रुपये का खर्च और प्रत्येक प्रकार की परेशानियां। इसलिए स्वास्थ्य मंत्री को इंटर्नशिप की अवधि में बढ़ोतरी का खयाल छोड़ देना चाहिए।
तमिलनाड़ु में 17 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी इलाहाबाद : एमबीबीएस में इंटर्नशिप बढ़ाने के विरोध में तमिलनाड़ु राज्य में 17 छात्र-छात्राओं ने पढ़ाई छोड़ दी है। सभी छात्र इंजीनियरिंग या फिर अन्य क्षेत्र में अपना करियर तलाश रहे हैं। यह जानकारी छात्रों की वेबसाइट में दी गई है। इन छात्रों ने मेडिकल की परीक्षा पास कर ली थी और डाक्टर बनने का सपना देख रहे थे।

एएमए भी आया समर्थन में
इलाहाबाद : इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन भावी डाक्टरों को समर्थन दे रहा है। एसोसिएशन के सचिव डा. युगांतर पाण्डेय ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के कदम को गलत ठहराया है। कहा कि इंटर्नशिप न बढ़ाकर मंत्री को कई योजनाएं शुरू करना चाहिए। जिससे गरीब लोगों को आर्थिक सहायता मिल सके।

Wednesday, December 5, 2007

5 december Dainik Jagran

भावी डाक्टरों ने किया सद्बुद्धि यज्ञ
सिटी रिपोर्टर, इलाहाबाद : एमबीबीएस में इंटर्नशिप बढ़ाने को लेकर मेडिकल छात्र-छात्राओं का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। मंगलवार को मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज के भावी डाक्टरों ने एसआरएन अस्पताल में सद्बुद्धि यज्ञ किया और भगवान से केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री को बुद्धि देने की प्रार्थना की। उधर, देशभर के मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने स्ट्राइकिंग मेडिकोज डॉट इन नाम से वेबसाइट तैयार कर लिया है। वेबसाइट में देशभर के डाक्टर अपनी-अपनी गतिविधियों की जानकारी दे रहे हैं। आंदोलन के समर्थन में डाक्टर एसएमएस भेज रहे हैं। जबकि सात दिसंबर को देशभर के मेडिकल कालेज के डाक्टर एक ही समय पर रैली निकालने जा रहे हैं। इंटर्नशिप बढ़ाने के विरोध में आज भावी डाक्टर तीन बजे एसआरएन अस्पताल में एकत्रित हुए। डाक्टरों ने हवन कुंड तैयार किया तथा केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री की सद्बुद्धि के लिए आहूतियां देना शुरू कर दिया। इस दौरान मेडिकल छात्रों ने जमकर मंत्री विरोधी नारेबाजी की। गौरतलब है कि मेडिकल कालेजों में इंटर्नशिप की अवधि दो साल होने जा रही है। संतोष सिंह, प्रियंका सिंह, सुनील विश्र्वकर्मा, मनीषा दुबे, अंकिता सिंह ने बताया कि एमबीबीएस की तरह ही पीजी पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप बढ़ाने की तैयार चल रही है। पीजी में इंटर्नशिप दो साल की हो जाएगी। यह इंटर्नशिप ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों में ही रहकर पूरी करनी होगी। भावी डाक्टरों का ने बताया कि सरकार जनता के मददेनजर कोई कदम नहीं उठा रही है। जबकि छात्रों को परेशान किया जा रहा है। बबलू सोनकर, पाश्र्व सिंह, शशिप्रभा गौतम, प्रीति सिंह, मोनिका, वंदना व कीर्ति ने बताया कि मेडिकल छात्रों ने अपनी वेबसाइट बना ली है। उन्होंने बताया कि इंटर्नशिप के बाद छात्रों को जॉब की गारंटी आजतक नहीं मिली है और न ही स्वास्थ्य केन्द्रों में डाक्टरों की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं।

Friday, November 30, 2007


Students of M.L.N. Medical college, Allahabad today staged a protest against the proposed bill by Central Health minister Ambumani Ramadoss for One year compulsory Rural internship for All medical students, in addition to one year internship at present. It is proposed that medical



students will not be allowed to go for further studies till they have completed one-year rural posting after internship at the college. In effect, this would mean that medical graduation would take six-and-a-half years instead of the current five-and-a-half years including internship. This will pose problem for middle class students, especially for girls.
Medicos in Tamilnadu, Delhi, Rajasthan and other states have been protesting against this proposed bill for the last two months. Students said that this is just another example of politics at the expense of common men. This move is going to harm the medical fraternity as well as the rural people. How can the government expect to benefit rural health status by posting medical students as full fledged doctors when they are not competent enough to get registered with the medical council?. We all know the condition of district hospital and even medical Colleges. Without any supervision, how can these inexperienced students treat people in villages where there is no health infrastructure- not even bandages and pain relieving drugs.
Government is risking the health of villagers treating them as second grade citizens when registered doctors are available. In Uttar Pradesh, UPPSC receives atleast Fivefold applications against the vacancies advertised. Then why doesn`t government appoint these willing Doctors instead of forcing the young medical students who are not authorized to sign any medical certificate and can not treat any patient except under supervision (As per the Medical council of India Rules for Interns)?
The basic cause is that government is once again running away from its responsibility. Instead of appointing permanent and competent doctors for a salary of 18000-20000 ,they will be paying just Rs 8000 to these Interns. As for the willingness of the government to improve rural health, India spends only a meager 0.9%of Its GDP on health against a minimum 5% of GDP as recommended by WHO.
The health minister misguides by saying that Doctors don’t want to go to villages. Anyone can check with the Public service Commission and confirm that there are more applicants than vacancies. Then why force the young students to go to villages when better workforce is available.
Students all over India are protesting peacefully against this one year rural stint. We don`t intend to cause any inconvenience to the public. We just want to force the government to give proper doctors to the people and provide proper facilities to them at every level. We urge the government to shoulder its responsibilities and provide infrastructure and fill the vacancies with permanent doctors who are willing to serve in the villages, instead of exploiting young students

MLNMC Allahabad

MLNMC Allahabad today joined the protest against proposed rural internship bill .